निगाहें भीग कर कहतीं मुझे तुम क्यों सज़ा देते |...... निगाहें भीग कर कहतीं मुझे तुम क्यों सज़ा देते |......
धर्म से बढ़कर कर्म को मानो, ख़ुद की असलियत को जानो। सहिष्णु, अहिष्णु,तेरा,मेरा,हिन्दू,मुस्लिम,ये सब बा... धर्म से बढ़कर कर्म को मानो, ख़ुद की असलियत को जानो। सहिष्णु, अहिष्णु,तेरा,मेरा,हिन...
ढूंढता रहा तुम्हे बहती व्यास के किनारे। बहुत देर तक बैठा रहा उस चिनार के नीचे, जो तुम्हारे घर ... ढूंढता रहा तुम्हे बहती व्यास के किनारे। बहुत देर तक बैठा रहा उस चिनार के नीचे...
ये ही है आज का बड़ा सबक सच बोलने का रखो बेबाक। ये ही है आज का बड़ा सबक सच बोलने का रखो बेबाक।
भई संग आग कपास भई संग आग कपास
मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए